संगठन के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष अशोक बुवानीवाला ने कहा कि कोविड की दूसरी लहर से उद्योग जगत का भरोसा डगमगाया हुआ है। एक सर्वें रिपोर्ट का हवाला देते हुए बुवानीवाला ने कहा कि मौजूदा दौर में व्यापार भरोसा सूचकांक 51.5 पर आ गया है। जबकि पिछले सर्वेक्षण में दौर में यह दशक के सबसे ऊंचे स्तर 74.2 पर पहुंच गया था। सर्वें में वित्तीय पैकेज की जरूरत पर भी जोर दिया गया है। सर्वें के मुताबिक, बिगड़ती मौजूदा स्थिति और संक्रमण की खतरनाक दूसरी लहर की वजह से आने वाले समय को लेकर कम उम्मीदों की आशंका से पूरे सूचकांक मूल्य में 20 अंक से ज्यादा की कमी दर्ज की गई है। सर्वें में सम्मिलित ज्यादातर व्यापारियों के अनुसार मांग की दशाएं और कच्चे माल की बढ़ती कीमतें चिंता का विषय है। वित्तीय मोर्चें पर सभी कम्पनियों को लगता है कि खासतौर पर मांग के मुद्दें से निपटने के लिए एक और वित्तीय पैकेज दिया जाना चाहिए। बुवानीवाला ने कहा कि इस वित्तीय पैकेज के अंतर्गत ग्रामीण एवं शहरी छोटे एवं मध्यम व्यापारियों को आय संबंधिी सीधी सहायता, कर में कटौती और अप्रत्यक्ष करों में अस्थायी कटौती पर तत्काल ध्यान देने जैसे सुझाव भी दिए गए। व्यापारी नेता ने कहा कि इस समय राज्य लॉकडाउन में ढील दे रहे हैं और ऐसे में व्यापार तथा उद्योगों को चौतरफा सहयोग की जरूरत होगी। राष्ट्रीय जन उद्योग व्यापार संगठन की ओर से उन्होंने सुझाव दिया कि कर्मचारी राज्य बीमा निगम के अधिशेष धन का उपयोग कर्मचारियों के लिए वेतन सहायता उपायों और प्रोत्साहन पैकेज देने के लिए किया जाना चाहिए। संगठन की और से की गई मांगों की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि यह वित्तीय मानकों पर बहुत अधिक
ध्यान दिए बिना समर्थन और खर्च बढ़ाने का समय है। इस बात का पूरा यकीन है कि आरबीआई और सरकार राजकोषीय दबावों के बावजूद प्रणाली में नकदी बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। बुवानीवाला ने कहा कि केन्द्र सरकार और आरबीआई को 31 मार्च 2022 तक के लिए एक ब्याज सहायता योजना पर विचार करना चाहिए। जिसमें विशेष तौर पर सूक्ष्म और छोटे कारोबारियों को शामिल करना चाहिए। बुवानीवाला ने सबसे बुरी तरह प्रभावित आतिथ्य क्षेत्र को राहत देने के लिए रेस्त्राओं को जीएसटी इनपुट के्रडिट की अनुमति देने का सुझाव भी दिया। इसके अलावा रियल एस्टेट क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए स्टांप शुल्क और संपत्ति कर को कम से कम तीन साल के लिए आधा करने की मांग भी की।