इस क़ानून के अनुसार ‘जबरन धर्मांतरण’ उत्तर प्रदेश में दंडनीय होगा. इसमें एक साल से 10 साल तक जेल हो सकती है और 15 हज़ार से 50 हज़ार रुपए तक का जुर्माना.
शादी के लिए धर्मांतरण को इस क़ानून में अमान्य क़रार दिया गया है. राज्यपाल की सहमति के बाद यह अध्यादेश लागू हो जाएगा.
उत्तर प्रदेश सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में क़ानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए यह अध्यादेश ज़रूरी था.उन्होंने कहा कि महिलाओं और ख़ास करके अनुसूचित जाति-जनजाति की महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए यह एक ज़रूरी क़दम है.ये धर्मांतरण छल से और जबरन कराए गए हैं. यहां तक कि हाई कोर्ट ने भी आदेश दिया है कि जिन राज्यों में शादी के लिए धर्मांतरण हो रहे हैं वो अवैध हैं.”योगी सरकार के इस अध्यादेश के अनुसार ‘अवैध धर्मांतरण’ अगर किसी नाबालिग़ या अनुसूचित जाति-जनजाति की महिलाओं के साथ होता है तो तीन से 10 साल की क़ैद और 25 हज़ार रुपए का जुर्माना भरना पड़ेगा.अगर सामूहिक धर्मांतरण होता है तो सज़ा में तीन से 10 साल की जेल होगी और इसमें शामिल संगठन पर 50 हज़ार रुपये का जुर्माना लगेगा. इसके साथ ही उस संगठन का लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा. धर्मांतरण जबरन नहीं है, छल से नहीं किया गया है और यह शादी के लिए नहीं है, इसे साबित करने की ज़िम्मेदारी धर्मांतरण कराने और धर्मांतरित होने वाले की होगी.पिछले महीने ही 31 अक्टूबर को जौनपुर में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था, “लव-जिहाद पर कड़ा क़ानून बनेगा.”योगी ने इलाहाबाद हाई कोर्ट की सिंगल बेंच जज के उस फ़ैसले का हवाला दिया था जिसमें शादी के लिए धर्मांतरण को अवैध बताया गया था. हालाँकि बाद में इसी कोर्ट में दो जजों की बेंच ने इस फ़ैसले को क़ानून के लिहाज से ग़लत बताया था. इसी तरह के क़ानून बनाने की बात बीजेपी शासित मध्य-प्रदेश और हरियाणा की सरकारें भी कर चुकी हैं. अगर कोई शादी के लिए अपनी इच्छा से धर्म बदलना चाहता/चाहती है तो दो महीने पहले संबंधित ज़िले के डीएम के पास नोटिस देना होगा. ऐसा नहीं करने पर 10 हज़ार रुपये का जुर्माना लगेगा और छह से तीन साल की क़ैद हो सकती है.