किसानों से जुड़े कृषि बिल के विरोध को लेकर किसानों ने गृहमंत्री की पेशकश के बाद अपना पहला फैसला सुना दिया है. किसान संगठनों ने अपने इस फैसले में कहा है, ‘हम कभी बुराड़ी ग्राउंड नही जाएंगे, और दिल्ली के सभी 5 हाइवे ब्लॉक करके दिल्ली की पूरी तरह से घेराबन्दी करेंगे.’किसानों ने कहा कि जिस तरह देश के ग्रह सचिव की कल रात चिठ्ठी आई थी और उसमें गृह मंत्री के बयान के हवाले से जो शर्तों लगाई गईं हैं वो उन्हें स्वीकार्य नहीं हैं. किसानों ने कहा कि सरकारी शर्तों में सड़कें खाली करो. बुराड़ी आओ, तब हम आपसे बातचीत करेंगे इस तरह की सशर्त बातचीत का प्रस्ताव किसानों ने ना मंजूर कर दिया है.सिंघु बॉर्डर पर पुलिस ने जहां बेरिकेटिंग लगाई थी वहां छोटा सा हिस्सा खोला गया है. दिल्ली पुलिस के मुताबिक जो किसान धरने पर बैठे हैं उनका राशन खत्म हो रहा है तो इनके समर्थक इनके लिए खाना पानी जो लेकर आ रहे हैं उनके लिए ये रास्ता खोला गया है ताकि उनको खाना पहुंचाने में दिक्कत न हो. पुलिस ने ये भी कहा कि अगर किसान बुराड़ी जाना चाहते हैं जहां प्रशासन ने उन्हें विरोध प्रदर्शन के लिए जगह दी है वहां वो जा सकते हैं. हम खुद सभी को ले जाने के लिए तैयार हैं. वहीं किसानों की बैठकें लगातार जारी है.
क्या है सरकार का दावा और विपक्ष का विरोध, जानें
कृषक उत्पाद व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) विधेयक 2020 (The Farmers’ Produce Trade and Commerce (Promotion and Facilitation) Bill, 2020): प्रस्तावित कानून का उद्देश्य किसानों को अपने उत्पाद नोटिफाइड ऐग्रिकल्चर प्रोड्यूस मार्केटिंग कमेटी (APMC) यानी तय मंडियों से बाहर बेचने की छूट देना है। इसका लक्ष्य किसानों को उनकी उपज के लिये प्रतिस्पर्धी वैकल्पिक व्यापार माध्यमों से लाभकारी मूल्य उपलब्ध कराना है। इस कानून के तहत किसानों से उनकी उपज की बिक्री पर कोई सेस या फीस नहीं ली जाएगी।
मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) अनुबंध विधेयक 2020 (The Farmers (Empowerment and Protection) Agreement of Price Assurance and Farm Services Bill, 2020): इस प्रस्तावित कानून के तहत किसानों को उनके होने वाले कृषि उत्पादों को पहले से तय दाम पर बेचने के लिये कृषि व्यवसायी फर्मों, प्रोसेसर, थोक विक्रेताओं, निर्यातकों या बड़े खुदरा विक्रेताओं के साथ अनुबंध करने का अधिकार मिलेगा।
लाभ
विरोध
यदि किसान अपनी उपज को पंजीकृत कृषि उपज मंडी समिति (APMC/Registered Agricultural Produce Market Committee) के बाहर बेचते हैं, तो राज्यों को राजस्व का नुकसान होगा क्योंकि वे ‘मंडी शुल्क’ प्राप्त नहीं कर पायेंगे। यदि पूरा कृषि व्यापार मंडियों से बाहर चला जाता है, तो कमीशन एजेंट बेहाल होंगे। लेकिन, इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है, किसानों और विपक्षी दलों को यह डर है कि इससे अंततः न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) आधारित खरीद प्रणाली का अंत हो सकता है और निजी कंपनियों द्वारा शोषण बढ़ सकता है।किसान संगठनों और विपक्षी दलों का कहना है कि इस कानून को भारतीय खाद्य व कृषि व्यवसाय पर हावी होने की इच्छा रखने वाले बड़े उद्योगपतियों के अनुरूप बनाया गया है। यह किसानों की मोल-तोल करने की शक्ति को कमजोर करेगा। इसके अलावा, बड़ी निजी कंपनियों, निर्यातकों, थोक विक्रेताओं और प्रोसेसर को इससे कृषि क्षेत्र में बढ़त मिल सकती है।