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समान मंडी सेस लागू करें, ई-कॉमर्स के लिए रेगुलेटर नियुक्त हो: भारतीय उद्योग व्यापार मंडल

भारतीय उद्योग व्यापार मंडल (BUVM), जो 3 अगस्त 2025 को अपना 44वां स्थापना दिवस मनाने जा रहा है, ने आज नई दिल्ली में एक प्रेस वार्ता आयोजित की और कर प्रणाली से लेकर ई-कॉमर्स रेगुलेशन, FSSAI द्वारा लिए जाने वाले सैंपल परीक्षण तक कई बड़े बदलावों की मांग की।

बाबूलाल गुप्ता, अध्यक्ष, भारतीय उद्योग व्यापार मंडल ने कहा: “सरकार व्यवसाय करने में आसानी (Ease of Doing Business) को बढ़ावा दे रही है। परंतु GST की अनेक टैक्स दरें MSMEs और व्यापारियों के लिए बड़ी चुनौती हैं। हमने सरकार को सुझाव दिया है कि GST दरों को केवल तीन स्लैब में रखा जाए — 0%, 5% और 18%। यदि इसे लागू किया गया, तो यह GDP वृद्धि का मार्ग प्रशस्त करेगा।” उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि सभी खाद्य उत्पादों पर, चाहे उनका वजन या पैकिंग कुछ भी हो, 0% टैक्स होना चाहिए। खाद्यान्न, दालें, तिलहन के लिए क्लीनिंग, ग्रेडिंग और सॉर्टिंग मशीनें, एलईडी लैंप, सबमर्सिबल पंप, हार्डवेयर, स्टेनलेस स्टील, ₹1000 तक के खिलौने, खाद्य तेल, बेकरी उत्पाद, सौर जल हीटर, घी, अचार, हस्तशिल्प और ₹1000 प्रतिदिन तक के होटल रूम को 5% स्लैब में रखा जाना चाहिए। शेष सभी उत्पाद 18% स्लैब में आने चाहिए।

राज्यों में मंडी सेस की दरों में व्यापक असमानता है, जो 0-4% के बीच होती है। इसे एक समान किया जाना आवश्यक है। श्री मुकुंद मिश्रा, राष्ट्रीय वरिष्ठ महासचिव, भारतीय उद्योग व्यापार मंडल ने कहा: “सभी राज्यों में कृषि मंडी सेस को ₹100 पर 50 पैसे किया जाए। इससे सभी किसानों और व्यापारियों को बराबरी का अवसर मिलेगा और ‘वन नेशन, वन मार्केट’ की दिशा में सार्थक कदम होगा। साथ ही, यह राज्य सरकारों की आय को भी बढ़ाएगा।”

प्रेम अरोड़ा, अध्यक्ष, भारतीय उद्योग व्यापार मंडल, दिल्ली ने कहा: “वर्तमान में FSSAI नियमों के तहत हर 6 महीने में खाद्य सैंपल टेस्टिंग जरूरी है। यह छोटे व्यवसायों के लिए भारी वित्तीय बोझ बन गया है। हम मांग करते हैं कि यह प्रक्रिया केवल वर्ष में एक बार होनी चाहिए।”

श्री हेमंत गुप्ता, वरिष्ठ महासचिव, भारतीय उद्योग व्यापार मंडल, दिल्ली ने ई-कॉमर्स की अनियमित वृद्धि पर चिंता जताते हुए कहा: “हम ‘वोकल फॉर लोकल’ और आत्मनिर्भर भारत के विज़न का समर्थन करते हैं, लेकिन ई-कॉमर्स का विकास संतुलित होना चाहिए। छोटे और मध्यम व्यापारियों के लिए समान अवसर सुनिश्चित करने हेतु एक रेगुलेटर नियुक्त किया जाना चाहिए, जैसे बैंकों और बीमा के लिए होता है।

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