डायरेक्टर : हार्दिक मेहता
श्रेणी:Hindi, Horror, Comedy
अवधि:2 Hrs 25 Min
रेटिंग : 3
भूरा पांडे (राजकुमार राव) और कट्टानी कुरैशी (वरुण शर्मा) कुछ अजीब परिस्थितियों में रूही (जान्हवी कपूर) के साथ फंस गए हैं। रूही को देखकर पहले पहल यही लगता है कि वह सीधी-सादी सी लड़की है। लेकिन फिर उसकी दूसरी पर्सनैलिटी सामने आती है। भूतिया, चुड़ैल वाला रूप। इस पर्सनैलिटी का नाम है आफ्जा। अब भूरा को रूही से प्यार हो जाता है और कट्टानी को आफ्जा से। इन तीनों के बीच रोमांस की अलग तरंगे अंगड़ाई लेती हैं और कहानी यहीं से आगे बढ़ती है। अजीब-अजीब तरह की समस्याएं सामने आती हैं। इन सब के बीच हंसी की फुहारे भी हैं। कई तरह के अजीब कैरेक्टर आते हैं और फिल्म में आगे क्या होता है, यह अंत में पता चलता है। तौर प्रड्यूसर दिनेश विजान अब ‘रूही’ लेकर आए हैं। डायरेक्शन का जिम्मा हार्दिक मेहता के कंधों पर है और वह बहुत हद तक हॉरर को कॉमेडी में ढालने में सफल भी होते हैं। फिल्म के तीनों मुख्य कलाकारों- राजकुमार राव, जान्हवी कपूर और वरुण शर्मा ने अपने-अपने हिस्से में अच्छा काम किया है। वरुण शर्मा की कॉमिक टाइमिंग गजब की है।
उनके एक्सप्रेशंस देखकर आपकी हंसी छूट जाती है। जबकि रूही हो या आफ्जा, दोनों ही किरदारों में जान्हवी ने भी अपना रंग जमाया है। ‘रूही’ की कहानी मृगदीप सिंह लाम्बा और गौतम मेहरा ने लिखी है। उन्होंने कई फन वन लाइनर्स दिए हैं, जो आसानी से दर्शकों को हंसाने में कामयाब हो जाते हैं। लेकिन कुछ ऐसा भी है, जहां यह फिल्म चूक जाती है। फिल्म में मुख्य कहानी के साथ भी कई कहानियां हैं। जो मुख्य किरदारों का भूतकाल है। यह हमें बताया भी जाता है, लेकिन पिछली कहानियों का बहुत कम हिस्सा ही फिल्म में हमारे साथ टिक पाता है। दो घंटे से अधिक समय की इस फिल्म में एडिटिंग को और चुस्त रखा जा सकता है। ‘रूही’ में तमाम एंटरटेनमेंट के साथ खुद से प्यार करने का मेसेज भी है। यह एक हद तक को ठीक है, लेकिन इसी मेसेज के साथ अंत डायरेक्टर के लिए सुविधाजनक सा है। कुछ बेतरतीब, जिसमें पंच की कमी खलती है।
क्यों देखें
थिएटर्स खुलने के बाद एक अच्छी एंटरटेनिंग फिल्म सामने आई है जिसे आप परिवार के साथ देख सकते हैं. अगर आपको स्त्री फिल्म पसंद आई थी तो यकीन मानिए इस फिल्म को देखकर भी आप पछताएंगे नहीं. स्ट्रेस भरे इस माहौल में ये एंटरटेनिंग फिल्म आपको जरूर देखनी चाहिए.