पर्यावरण पर प्रभाव कम करने के लिए गार्नियर की ग्रीन ब्यूटी पहल

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सौंदर्य प्रसाधन से जुड़े उत्पाद बनाने वाली कंपनी गार्नियर ने पर्यावरण पर पडऩे वाले ब्रांड के प्रभाव को आवश्यक रूप से कम करने के लिए ग्रीन ब्यूटी पहल की घोषणा की है। कंपनी ने आज यहां जारी एक बयान में कहा कि अब गार्नियर के सभी प्रोडक्ट्स आधिकारिक रूप से क्रूएलिटी फ्री हैं। कंपनी की योजना वर्ष 2025 तक अपने सारे प्रोडक्ट जीरो वर्जिन प्लास्टिक से बनाने, सारी पैकेजिंग दोबारा उपयोग में लाने, उन्हें रिसाइकल करने और कम्पोस्ट बनाने योग्य होगी।
कंपनी ने कहा कि यह पहला ब्रांड है जा प्रोडक्ट एंवॉयरमेंटल एंड सोशल इम्पैक्ट लेबलिंग लागू कर रहा है, जिससे ग्राहकों को ज्यादा सस्टेनेबल विकल्प चुनने का मौका मिलेगा। गार्नियर ने कहा कि वे सन 1989 से ही जानवरों पर परीक्षण के खिलाफ रहा है और अब ‘क्रूएलिटी फ्री इंटरनेशनल’ ने अपने ‘लीपिंग बनी प्रोग्राम’ के तहत इस ब्रांड पर अपनी मुहर लगा दी है।

‘लीपिंग बनी प्रोग्राम’ के अंतर्गत, क्रूएलिटी फ्री इंटरनेशनल द्वारा गार्नियर पहली बार सत्यापित होने वाले सबसे बड़े ब्रांडो में से एक है। उसने कहा कि 2025 तक गार्नियर का लक्ष्य है कि वह अपनी सारी पैकेजिंग में जीरो वर्जिन प्लास्टिक का इस्तेमाल करेगा, जिससे हर साल करीब 37000 टन प्लास्टिक की बचत होगी।

वर्ष 2025 तक सारी पैकेजिंग या तो पुन: उपयोग में लायेगी जो उसे रिसाइकल करने या कम्पोस्ट बनाए जाने योग्य भी होगी। कंपनी के सभी प्लांट 2025 तक 100 प्रतिशत कार्बन न्यूट्रल इंडस्ट्रियल साइट्स होंगी, जिनमें रिन्यूएबल एनर्जी का इस्तेमाल किया जाएगा। इंडस्ट्रियल साइट्स पर कार्बन डाई ऑक्साइड का उत्सर्जन 72 प्रतिशत से कम हो गया है।

इसके साथ ही ‘लॉरिअल फॉर द फ्यूचर’ के तहत, गार्नियर ‘प्रोडक्ट एनवॉयरमेंटल एवं सोशल इम्पैक्ट लेबलिंग’ लागू करने वाला पहला ब्रांड होगा। इसका लक्ष्य है अपने प्रोडक्ट का पर्यावरण तथा समाज पर पडऩे वाले प्रभाव के बारे में ग्राहकों को जानकारी देना। इससे वे ज्यादा सस्टेनेबल विकल्प चुन पाएंगे।

फ्रांस में हेयरकेयर प्रोडक्ट्स पर हुए ट्रायल्स के बाद यह लेबलिंग ए से ई का सस्टेनेबिलिटी स्कोर देती है और जिन उत्पादों को ‘ए’ लेबल का दर्जा दिया गया, उन्हें श्रेणी में सर्वोत्तम माना गया। इस स्कोर को प्रदान करने में पर्यावरण से जुड़े सामग्री की सोर्सिंग, निर्माण, परिवहन, उपयोगिता और रीसाइक्लिंग की क्षमता जैसे मुद्दों को ध्यान में रखा गया है।

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