सरकार ने कोरोना की वजह से इस साल CBSE 12वीं की परीक्षा रद्द कर दी है।

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मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अहम बैठक के बाद यह फैसला लिया गया। मीटिंग के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि अभी छात्रों की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता में है। ऐसे माहौल में उन्हें परीक्षा का तनाव देना ठीक नहीं है। हम उनकी जान खतरे में नहीं डाल सकते। उन्होंने कहा कि 12वीं का रिजल्ट तय समयसीमा के भीतर और तार्किक आधार पर तैयार किया जाएगा।

इस फैसले के बाद इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट (ISC) के 12वीं के एग्जाम भी रद्द कर दिए गए। काउंसिल फॉर द स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन के चेयरमैन डॉ जी. इमानुएल के मुताबिक, रिजल्ट कम्पाइल करने पर आखिरी फैसला लिया जाना बाकी है। छात्रों के हित को ध्यान में रखकर ही 12वीं की परीक्षा पर फैसला लिया गया है।छात्रों की सुरक्षा और सेहत हमारे लिए सबसे बड़ी प्राथमिकता है। इस पर किसी भी तरह का समझौता नहीं किया जा सकता है।
परीक्षा को लेकर छात्र, पैरेंट्स और टीचर्स सभी परेशान थे। इस फिक्र को खत्म किया जाना जरूरी था।ऐसे दबाव भरे माहौल में छात्रों को परीक्षा देने के लिए बाध्य किया जाना ठीक नहीं होगा। परीक्षा से जुड़े सभी पक्षों को इस समय छात्रों के प्रति संवेदनशीलता दिखाने की जरूरत है। प्रधानमंत्री के सामने सभी विकल्प रखे गए इस बैठक में CBSE के चेयरमैन, शिक्षा मंत्रालय के सेक्रेटरी के अलावा केंद्रीय मंत्री अमित शाह, निर्मला सीतारमण, पीयूष गोयल, धर्मेंद्र प्रधान, राजनाथ सिंह और प्रकाश जावड़ेकर शामिल हुए। शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक हॉस्पिटल में एडमिट होने की वजह से इसमें नहीं जुड़ पाए। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई बैठक में अधिकारियों ने प्रधानमंत्री के सामने प्रेजेंटेशन दी। यह प्रेजेंटेशन बोर्ड, राज्य सरकारों और परीक्षा से जुड़े सभी पक्षों से बातचीत के बाद तैयार की गई थी। सभी से मिले फीडबैक के आधार पर एग्जाम टालने का फैसला लिया गया।9वीं, 10वीं और 11वीं के अंकों के आधार पर तैयार हो सकता है रिजल्ट, अगर कोई संतुष्ट नहीं तो परीक्षा का भी मौका अरविंद केजरीवाल ने एग्जाम रद्द करने की मांग की थी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 12वीं की परीक्षाएं रद्द करने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि पिछली परफॉर्मेंस के आधार पर छात्रों का आकलन किया जाए। केजरीवाल ने कहा था कि पेरेंट्स परेशान हैं। वे नहीं चाहते हैं कि वैक्सीनेशन किए बिना परीक्षा हो। एग्जाम रद्द होने के बाद उन्होंने इसे छात्रों के हित में लिया गया फैसला बताया है। याचिकाकर्ता ने कहा- अब राज्यों के बोर्ड में इस फैसले को लागू करने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाएंगी, एग्जाम पर एक्सपर्ट्स की राय बंटी

शिक्षा मंत्रालय ने तैयार किए थे 3 विकल्प
सूत्रों ने भास्कर को बताया था कि परीक्षाएं कराने के लिए शिक्षा मंत्रालय ने ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया था। इसे प्रधानमंत्री को भी दिखाया गया।

पहला प्रपोजल: 12वीं के मुख्य विषयों यानी मेजर सब्जेक्ट्स का एग्जाम लिया जाए। साइंस, कॉमर्स और आर्ट्स के केवल 3 मुख्य विषयों की ही परीक्षा लेने के बाद बाकी सब्जेक्ट्स में मुख्य विषयों पर मिले नंबर्स के आधार पर मार्किंग का फॉर्मूला बनाया जाए।

दूसरा प्रपोजल: 30 मिनट की परीक्षाएं हो और इनमें ऑब्जेक्टिव सवाल पूछे जाएं। इस परीक्षा में विषयों की संख्या भी सीमित करने की बात कही गई, पर इसके बारे में साफ कुछ नहीं बताया गया।

तीसरा प्रपोजल: अगर देश में कोरोना संक्रमण की स्थिति ठीक नहीं होती है तो 9वीं, 10वीं और 11वीं तीनों का इंटरनल असेसमेंट किया जाए। इसके बाद इसके आधार पर ही 12वीं का रिजल्ट जारी कर दिया जाए। इस प्रपोजल को लेकर भी फॉर्मूला साफ नहीं हो पाया था।

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