योग, दैनिक जीवन की अनिवार्यता

0
129

दुनिया एक साल से ज्‍यादा वक्‍त से कोविड-19 महामारी से लड़ रही है। केवल ढाई महीने पहले, भारत में अचानक इसके मामले बढ़े और ऑक्‍सीजन की कमी हुई, अस्‍पतालों के बेड्स की संख्‍या में कमी हुई और लगभग हर दूसरे व्‍यक्ति के संक्रमित होने से कोविड-19 के रोगियों की संख्‍या बढ़ गई। उस कठिन समय में, हर कोई कुंठित, असहाय और गंभीर रूप से चिंतित होने का अनुभव कर रहा था। इसका लोगों के मानसिक, शारीरिक और मनोवैज्ञानिक स्‍वास्‍थ्‍य पर बुरा प्रभाव पड़ा और वे अंदर तक हिल गये। अपने तनाव से निपटना और अपनी भलाई के लिये राहत के उपाय करना सीखना लोगों के लिये महत्‍वपूर्ण है। अपने मानसिक और शारीरिक स्‍वास्‍थ्‍य का ध्‍यान रखना जरूरी है। इन दोनों को सुनिश्चित करने का एक तरीका है योग।21 जून को दुनियाभर में अंतर्राष्‍ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है। आत्‍मसंयम का यह अनुशासन आपको ज्‍यादा स्‍वस्‍थ जीवनशैली की दिशा में ले जाता है। विगत वर्षों में लोगों के वैश्विकरण के साथ योग अभ्‍यास बड़े पैमाने पर बदले हैं। योग पहले परफेक्‍ट शरीर पाने पर केन्द्रित था, लेकिन आज तनाव को दूर करने, अच्‍छी तरह से साँस लेने और इम्‍युनिटी बढ़ाने के लिये ज्‍यादा प्रयुक्‍त होता है।

योग से मिलने वाले निश्चित लाभों में से कुछ के विवरण नीचे दिए जा रहे हैं।

योग और मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य पर उसका प्रभाव
पिछले साल जनवरी के अंत में महामारी के आने के साथ, हर व्‍यक्ति के मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य पर बुरा असर हुआ। लंबे समय तक काम करने, स्‍क्रीन टाइम बढ़ने, दूर से काम करने, परिजनों के अस्‍वस्‍थ होने से चिंता बढ़ गई। कोविड-19 के संक्रमितों की बड़ी संख्‍या ने फ्रंटलाइन वर्कर्स पर बोझ काफी बढ़ा दिया था और वे अपनी बढ़ी हुई कार्यावधि, खुद के स्‍वास्‍थ्‍य की चिंता और अपने परिजनों के भी स्‍वास्‍थ्‍य की चिंता का सामना कर रहे थे। इन सबके साथ, लोगों के दिमाग में संक्रमित होने के डर ने चिंता को इतना बढ़ा दिया था कि वे गंभीर रूप से तनावग्रस्‍त हो गये थे।कुछ योग आसन और श्वसन क्रिया के व्‍यायाम चिंता और उदासी को दूर करने में मदद करते हैं; वे हमारा आत्‍मविश्‍वास भी बढ़ाते हैं और दृढ़ता निर्मित करते हैं। उदाहरण के लिये, बालासन (बच्‍चे की मुद्रा, शवासन (मुर्दे की मुद्रा), विपरीत करणी (दीवार के सहारे उठे हुए पैर) और उत्‍तानासन (आगे की ओर झुककर खड़े होना) हमारे दिमाग को शांति देते हैं, तनाव दूर करते हैं और रक्‍तसंचार को भी बेहतर बनाते हैं।योगोपचार से हम अपने शरीर और भावनाओं को नियंत्रित कर सकते हैं, इससे हमारे मस्तिष्‍क से एंडोर्फिन्‍स और डोपामाइन जैसे स्‍वास्‍थ्‍यकर रसायन निकलते हैं, ये रसायन मनोदशा के विभिन्‍न रोगों, चिंता और अवसाद से लड़ते हैं। पूरी अनिश्चितता के बीच योग कई युवाओं के लिये उसका सामना करने की क्रियाविधि के रूप में भी काम करता है।योग के सबसे महत्‍वपूर्ण शारीरिक लाभों में से कुछ हैं, बेहतर लचीलापन, पीठ और जोड़ों के दर्द में कमी, बेहतर त्‍वचा और पाचन। यह अनिद्रा मिटाने, हृदय को स्‍वस्‍थ रखने और रक्‍तसंचार को ठीक रखने में भी सहायक है

• सुप्‍त वीरासन – यह एक शांत आसन है, जो शरीर के कड़ेपन और तनाव से राहत पाने में कारगर है।
• मार्जरी आसन (बिल्‍ली-गाय जैसी मुद्रा) – व्‍यवस्थित तरीके से साँस लेते और छोड़ते हुए यह आसन करने से पीठ और कमर का दर्द कम होता है।
• प्राणायाम – इसमें ऑक्‍सीजन ज्‍यादा लिये जाने से रक्‍त शुद्ध होता है, जिससे महीन रेखाएं, झुर्रियाँ और आयु बढ़ने के लक्षण कम हो जाते हैं। इसके अलावा, ज्‍यादा ऑक्‍सीजन लेने से इम्‍युनिटी को ज्‍यादा मजबूत करने में मदद मिलती है।
• सेतु बंधासन (सेतु की मुद्रा) – यह रीढ़ और वक्ष को लचीला बनाने में मदद करता है और तनाव कम करता है। यह ज्‍यादा ब्‍लड प्रेशर वालों के लिये लाभकारी है।
• उत्‍कटासन (कुर्सी की मुद्रा) – यह मुद्रा पैर और हाथ की मांसपेशियों से काम करवाती है और डायफ्राम तथा हृदय को उत्‍तेजना देती है।

योग किसी मार्गदर्शक की मौजूदगी और निर्देशन में किया जाना चाहिये, ताकि कोई परेशानी न हो।

लेखिका – सुश्री कंचन नाइकावाडी, प्रबंध म्निदेशक और निवारक स्वास्थ्य देखभाल विशेषज्ञ, इंडस हेल्‍थ प्‍लस

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here