बीज उद्योग ने एनएसएआई एवं एफएसआईआई के माध्यम से पौध प्रजनकों द्वारा बेहतर पादप किस्मों के विकास के लिए नए गुणों के वाणिज्यीकरण प्रारूप पर आम सहमति बनाई, जिससे किसान लाभान्वित होंगे

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बीज उद्योग ने एनएसएआई एवं एफएसआईआई के माध्यम से पौध प्रजनकों द्वारा बेहतर पादप किस्मों के विकास के लिए नए गुणों के वाणिज्यीकरण प्रारूप पर आम सहमति बनाई, जिससे किसान लाभान्वित होंगे। औद्योगिक हस्तियों के बीच परामर्श व वार्ताओं के साथ बनी यह आम सहमति बहुत महत्वपूर्ण है और इससे पौध प्रजनकों द्वारा गुणों पर एकाधिकार एवं प्रतिबंधित उपलब्धता का डर समाप्त हो जाएगा और साथ ही गुणों का विकास करने वाली कंपनियों को उनके निवेश पर उचित प्रतिफल का आश्वासन भी मिलेगा। किसानों सहित विभिन्न अंशधारक समूहों के हितों के इस अनुकूलन से भविष्य में नियामक एजेंसियों को नए गुणों या पौध किस्मों का आंकलन करने व अनुमोदन करने के बारे में स्पष्टता भी मिलेगी।औद्योगिक संगठनों द्वारा कृषि मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों एवं नियामक अधिकरणों को प्रारूप के मुख्य तत्वों का विवरण दिया गया। इन संगठनों ने नियामक एवं अनुमोदन की प्रक्रिया को आसान व सुगम बनाने का निवेदन किया।

एनएसएआई के अध्यक्ष, श्री प्रभाकर राव ने कहा, ‘‘इस प्रारूप में सुनिश्चित किया गया है कि किसानों सहित सभी पक्षों के हितों का ख्याल रखा जाए। हमें खुशी है कि गुणों पर एकाधिकार होने के कारण उनका मनमाना मूल्य लिए जाने का छोटी व मध्यम कंपनियों का मुख्य डर पूरी तरह से दूर हो गया है। फ्रांड के सिद्धांतों पर गुणों की मनमानी रहित उपलब्धता एवं प्रतिष्ठित कृषि विशेषज्ञों की मौजूदगी वाले औद्योगिक निकाय द्वारा गुण के मूल्य निर्धारण से गुणों का मूल्य मनमाना होने का किसानों व औद्योगिक कंपनियों का डर दूर हो जाएगा।’’

डॉ. एम रामासामी, चेयरमैन, रासी सीड्स एवं चेयरमैन, एफएसआईआई ने कहा, ‘‘गैरअनुमोदित प्रौद्योगिकियों का अवैध इस्तेमाल पर्यावरण, कानूनी रूप से काम करने वाले बीज उद्योग एवं खुद किसानों के लिए खतरों से भरा है। यह प्रारूप भारतीय किसानों के लिए बहुत फायदेमंद होगा, जो 10 सालों से ज्यादा समय से नई प्रौद्योगिकियों का इस्तेमाल कर रहे हैं। दो संगठनों का मानना है कि नई प्रौद्योगिकियों से किसानों की आय बढ़ेगी, भारतीय किसानों की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार होगा और उपभोक्ताओं को बेहतर गुणवत्ता का आहार मिलेगा।

वाणिज्यीकरण प्रारूप के मुख्य तत्व हैं:

  1. एक इंडस्ट्री गवर्निंग बॉडी (आईजीबी) का गठन किया जाएगा, जिसमें दोनों संगठनों के प्रतिनिधि एवं अध्यक्षता के लिए एक स्वतंत्र विशेषज्ञ होगा। अध्यक्ष एवं वैज्ञानिक मामलों को निष्पक्ष रूप से देखेंगे और सुनिश्चित करेंगे कि किसानों सहित सभी पक्षों की चिंताओं व हितों का ख्याल रखा जा सके।
  2. प्रौद्योगिक सम्हालने एवं प्रबंधन के दिशानिर्देशों का पालन करने की तैयारी के लिए तकनीकी एवं वित्तीय क्षमता सहित कुछ बुनियादी मानकों का निर्धारण किया जाएगा ताकि उपलब्धता समझौते द्वारा गुणों की उपलब्धता बीज कंपनियों को कराने की योग्यताएं तय हो सकें।
  3. आईजीबी बीज मूल्य के 5 से 20 प्रतिशत के बीच की सीमा में गुणों का मूल्य निर्धारित करता है और निर्धारित अवधि में गुण के मूल्य में क्रमिक कमी होती है। इससे सुनिश्चित होता है कि किसानों के लिए प्रौद्योगिकी किफायती बनी रहे तथा प्रौद्योगिकी के विकासकर्ताओं को उनके निवेश का पर्याप्त प्रतिफल मिल सके।

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