परिणीति चोपड़ा और हार्डी संधू की फिल्म कोड नेम तिरंगा सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है. 

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फिल्म : कोड नेम तिरंगा

कलाकार : परिणीति चोपड़ा , हार्डी संधू , शरद केलकर , दिब्येंदु भट्टाचार्य , शिशिर शर्मा , रजित कपूर और सव्यसाची भट्टाचार्य आदि

निर्देशक: रिभु दासगुप्ता

रेटिंग : 3

कहानी किसी एजेंट की है जो देश के लिए किसी मिशन पर जाएगा लेकिन इस बार मिशन पर हीरो नहीं हीरोइन जाएगी और यही इस फिल्म की इकलौती खासियत है. फिल्म में एक्टर तो अच्छे लिए हैं लेकिन फिल्म देखकर लगता है कि यार ये तो सब देखा हुआ है. बस हीरो की जगह हीरोइन आ गई.

ये कहानी है दुर्गा नाम की एजेंट की जो विदेश में एक मिशन पर है. ये किरदार परिणीती चोपड़ा ने निभाया है. किसी आतंकवादी को पकड़ने का मिशन और इस मिशन के दौरान उसे हार्डी संधू मिलते हैं और क्या कुछ होता है यही फिल्म में दिखाया गया है.

कहानी की शुरुआत परिणीति चोपड़ा (Parineeti Chopra) के वॉइस ओवर से होती है, जिंदगी की कहानी जिंदगी से पहले शुरू होती है, जिंदगी खत्म होती है, मगर कहानी खत्म नहीं होती। अंडरकवर एजेंट इस्मत उर्फ दुर्गा जख्मी हालत में किसी रेगिस्तान को पार करते हुए अपनी दास्तान बयान कर रही है। असल में उसे 2001 में संसद पर हमला करने के मास्टरमाइंड खालिद उमर (शारद केलकर) को पकड़ने का काम सौंपा जाता है। अपने मिशन को पूर्ण करने के लिए वह डॉक्टर मिर्जा अली (हार्डी संधू) से निकाह करके उसका इस्तेमाल करती है। हालांकि वह मिर्जा से मोहब्बत करती है, मगर उसे अपने असाइनमेंट को किसी भी हाल में पूरा करना है इसलिए वो अपने प्यार को भी जोखिम में डाल देती है। उसके इस मिशन में उसका साथ देते हैं उसके जासूस अफसर राजित कपूर और दिब्येंदु भट्टाचार्य। दुर्गा को अपने मिशन को पूरा करने के लिए बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है, मगर क्या वह इस कीमत को देने के लिए तैयार थी? इन सारे सवालों के जवाब आपको फिल्म देखने के बाद मिलेंगे। सिंगर हार्डी संधू मिर्जा की भूमिका में जंचते हैं। खालिद उमर के रूप में शरद केलकर की भूमिका में नएपन का अभाव है। इस तरह के आतंकी को हम फिल्मों में पहले भी देख चुके हैं। अंडरकवर एजेंट के तौर में रजित कपूर और दिब्येंदु भट्टाचार्य ने अपनी भूमिकाओं संग न्याय किया है।

संगीत की बात करें, तो ‘की करिये’ और ‘दमदम मस्त कलंदर’ जैसे गाने अच्छे बन पड़े हैं। तुर्की और अफगानिस्तान की गलियों में फिल्माए गए चेजिंग दृश्य दिलचस्प हैं। त्रिभुवन बाबू सादिनेनी की फोटोग्राफी में दम है। फिल्म के कुछ संवाद ध्यान आकर्षित करते हैं।

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