बीते दस दिनों से दिल्ली की सीमा पर तीन नए कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ लाखों की संख्या में किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. दिल्ली की सीमा पर डटे इन इन किसानों के घर की महिलाएं भी अब तैयार हैं और कहती हैं कि अगर ज़रूरत पड़ी तो वो प्रदर्शन करने दिल्ली पहुँच जाएँगी.“अगर हमारे किसान भाई ही गाँवों में नहीं रहेंगे तो हम यहाँ रह कर क्या करेंगे? हम उनके साथ ही खड़े रहेंगे.” “इसके लिए चाहे हमें अपने घर सड़कों पर ही क्यों न बनाने पड़ें. हम चूल्हा चौका भी वहीं लगा लेंगे.”ये कहना है पंजाब के पटियाला के तरेड़ी जट्टां गाँव की भूपिंदर कौर का जिनके बेटे दिल्ली-हरियाणा के सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन में शामिल हैं. भूपिंदर कौर कहती हैं, “गाँव के लोग कहते हैं कि अगर हमें अपने अधिकारों के लिए लड़ना पड़ा तो गाँव की सारी औरतें साथ जाएंगी.” “अगर मोदी सरकार नहीं मानी तो हम औरतें सड़कों पर आ जाएंगी. हमारे मन में कोई डर, भय नहीं है. हम अपना हक़ लेकर ही रहेंगे.” एक दूसरी महिला गुरमेल कौर कहती हैं, “गाँव में आपस में अब कोई लड़ाई नहीं रही.“पहले हम लड़ते थे या नहीं ये तो नहीं पता लेकिन अब हम सब एक हैं. एक ही माँ के बच्चे बन गए हैं.”
किसानों ने आठ दिसंबर को भारत बंद करने का आह्वान किया
सिंघु बॉर्डर पर किसान संगठनों ने शुक्रवार शाम को प्रेस वार्ता करते हुए कहा कि यदि सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानीं तो 5 दिसंबर यानि कल शनिवार को देशभर में पीएम मोदी के पुतले जलाएंगे और 8 दिसंबर को भारत बंद का आह्वान किया जाएगा।
7 तारीख को सभी वीर अपने मेडलों को वापिस करेंगे। 8 तारीख को हमने भारत बंद का आह्वान किया है व एक दिन के लिए सभी टोल प्लाज़ा फ्री कर दिए जाएंगे। वहीं, अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हन्नान मोल्लाह ने कहा कि हमें इस आंदोलन को और तेज करने की जरूरत है। सरकार को कृषि कानूनों को वापस लेना ही पड़ेगा। मोल्लाह ने कहा कि इसे सिर्फ पंजाब आंदोलन बोलना सरकार की साजिश है मगर आज किसानों ने दिखाया कि ये आंदोलन पूरे भारत में हो रहा है और आगे भी होगा। हमने फैसला लिया है कि अगर सरकार कल कोई संशोधन रखेगी तो हम संशोधन स्वीकार नहीं करेंगे।