स्टार कास्ट: शाहरुख खान, दीपिका पादुकोण, जॉन अब्राहम, डिंपल कपाड़िया, आशुतोष राणा, सलमान खान आदि.
निर्देशक: सिद्धार्थ आनंद
मूवी रेटिंग: 4/5
फिल्म पठान की कहानी (Pathaan Story)
कहानी के मूल में है एक ऐसे सीक्रेट सर्विस एजेंट का किरदार, जिसकी पत्नी को बचाने के लिए सरकार आतंकियों के आगे झुकने और उन्हें 10 करोड़ देने से मना कर देती है. पत्नी की हत्या के बाद ‘जिम’ (जॉन अब्राहम) देश के खिलाफ एक मिशन में जुट जाता है. पुलिस और सीक्रेट सर्विस के अधिकारियों के पाला बदलने की ऐसी कहानियां आपने पहले भी कई फिल्मों में देखी होंगी. उसके ‘रक्तबीज’ मिशन को फेल करने में जुटती है भारतीय सीक्रेट एजेंट पठान (शाहरुख खान) की टीम. कहानी इतनी ही है, बाकी सब फॉर्मूले हैं.
रोहित शेट्टी की पुलिस वालों की सीरीज की तरह यशराज की भी एजेंट्स की सीरीज बन गई है और सूर्यवंशी की तरह इसमें पठान के साथ टाइगर का भी अहम रोल दिखाया गया है. कबीर की भी कई बार चर्चा की गई है, अगली फिल्मों में ये तीनों एक साथ दिख सकते हैं.
हालांकि कुछ नई कहानी की उम्मीद कर रहे शाहरुख फैंस निराश हो सकते हैं, क्योंकि कहानी वायरस पर है, जो आप हृतिक की ‘कृष’ और तमाम हॉलीवुड मूवीज में देख चुके हैं. इस मूवी में उस वायरस पर पौराणिक राक्षस ‘रक्तबीज’ का फॉर्मूला चढ़ा दिया गया है.
पठान का विरोध कर रहे लोगों को कुछ और बातों से भी आपत्ति हो सकती है. अपनी पत्नी की मौत से खफा जॉन अब्राहम जब भारत के खिलाफ हो जाते हैं, तो पठान शाहरुख से एक डायलॉग बोलते हैं, “मैं अपने आपको उसका आशिक समझता था और तुम बेटा… वो है भारत मां’’. ये ठीक है कई लोगों ने वतन को मां की जगह महबूब माना है, मनोज मुंतशिर के गीत तेरी मिट्टी में मिल जांवा में भी… यही रुख है. लेकिन या तो मां का जिक्र होता है या वतन से आशिकी का. यहां दोनों को मिलाकर डायलॉग विवादित लगता है, मानो जॉन कह रहे हों कि वो भारत मां के आशिक हैं.
पठान के ट्रेलर में एक सीन देखा होगा, जिसमें शाहरुख कहते हैं, ‘’पार्टी पठान के घर रखोगे, तो पठान तो आएगा ही और पटाखे भी लाएगा’’. तब ये लगा था कि पठान ये कह रहा है कि हिंदुस्तान में कुछ करोगे तो पठान रोकेगा. लेकिन मूवी में हकीकत कुछ और थी, ये डायलॉग अफगानिस्तान में बोला गया है, जहां शाहरुख एक परिवार को अपना मानता है. लेकिन ये दूसरी तरफ इशारा करता है, चूंकि पठानों का घर अफगानिस्तान माना जाता है, और शाहरुख भी अपने को अफगानी पठान मूल का होने का दावा करते आए हैं, हालांकि पेशावर में उनके कजिन खुद को पठान नहीं मानते