फिल्म का आनर कोई भी क्यों न हो कांसेप्ट के मुताबिक उसे पेश करने का जूनून और रिजल्ट वाजिब मिले यही फिल्म के निर्देशक की क़ाबलियत होती हैं l इसी श्रंखला में के.आसिफ,मेहबूब खान, वी.शांताराम,बी.आर चोपड़ा,राज कपूर,गुरु दत्त,यश चोपड़ा,राज खोसला,विजय आनंद,सुभाष घई आदि फिल्मकारों की लम्बी फेहरिस्त मौजूद है l
मगर आज मैं आपसे उस शख्स से मिलवाने जा रहा हूँ जिन्हे एक कम्पलीट फिल्म मेकर बनने के लिए स्पॉट बॉय से लेकर फिल्म प्रोडक्शन जैसे जटिल काम करने का लम्बा सफर तय करना पड़ा उन्होंने लेखन और निर्देशन सरीखे संवेदनशील और क्रिएटिव हुनर ही नहीं सीखा बल्कि उसमें अपना लोहा भी मनवाया l उस मल्टी माइंडेड पर्सनालिटी का नाम है सुदीप डी.मुखर्जी l
कई सालों के स्ट्रगल और रंजन कुमार सिंह,लेख टंडन और प्रकाश मेहरा जैसे दिग्गज निर्देशकों की सोहबत में रहकर सुदीप डी.मुखर्जी ने निर्देशन शिल्प की बारीकियां सीखी और मौका और दस्तूर उनके हाथ लगा जिसके तहत बतौर निर्देशक उन्होंने निर्माता बेला गांगुली और कमलेश परमार की फिल्म ‘करवट ‘ से अपने कैरियर का आगाज़ कियाl संजय कपूर,आयशा जुल्का,श्वेता मेनन,जीत उपेंद्र,रजनिका गांगुली और ओमपुरी इसकी स्टारकास्ट थी,इस फिल्म का शानदार मुहूर्त मुंबई के नागि विला में हुआ था l ‘करवट ,’ कम समय में चर्चा का केंद्र बन गई थी,मगर किन्ही अपरिहार्य कारणों से फिल्म शेल्व हो गई ..मगर फिर भी सुदीप डी.मुखर्जी ने हार नहीं मानी वह रुके नहीं और फिर मिलिट्री जवान की भांति अपने अगले मिशन में लग गए उस दौरान उन्होंने विभिन्न विषयों पर अपने मुंबई और कलकत्ता के ऑफिस में बैठकर पूरे ७८ फिल्मों की कहानी,पटकथाएँ,संवाद और सिचुएशनल गीत भी लिख लिए l फिर भाग दौड़ कर अपने सेकंड इनिंग की तैयारी की वक़्त ९० के सिनेमा से सुदीप बहुत प्रभावित थे कहानी,स्टाइल,एक्शन और म्यूजिक को लेकर उनके दिमाग में एक्शन म्यूजिकल बेस्ड फिल्म का खाका खिच गया lअब सवाल उठा कि इनके फिल्म के खाके को साकार करने प्रोडूसर की कमान कौन संभाले ?
उनकी मेहनत दिशा निर्देश और कुछ अलहदा करने के जूनून को देखते हुए अभिनेत्री रजनिका गांगुली के पिताश्री और सुदीप डी.मुखर्जी के ससुर श्री एन .एन .गांगुली ने फायनेंस किया और फिल्म की निर्मात्री रजनिका गांगुली को बनाया I जीत उपेंद्र,रजनिका गांगुली,तेज सप्रू ब्रिज गोपाल,शिवा और कुछ उभरते और नये कलाकारों को लेकर ९० के फ्लेवर को लेकर फिल्म ‘चट्टान ‘की शुरुआत हुई और अब यह फिल्म कम्पलीट हो गई है और २२ सितम्बर १९२३ को सर्वत्र भारत में रिलीज़ होने जा रही है l नृत्य निर्देशन,गीतकार,संगीतकार,कथा,पटकथा,संवाद, संपादन और निर्देशक सुदीप डी.मुखर्जी से उनकी रिलीज़ होने जा रही फिल्म चट्टान को लेकर उनके मुंबई स्थित ऑफिस में लम्बी अंतरंग बातचीत हुई….यहाँ प्रस्तुत हैं उस बातचीत के प्रमुख अंश : *चट्टान अब रिलीज़ पर है और यह आपके कैरियर की पहली फिल्म है कैसा महसूस कर रहे हैं?
जो लोग फिल्मों को अपना ओढ़ना,बिछोना,खाना,पीना की तरह अपना सर्वस्य मानते हैं उनका फिल्म मेकिंग की किसी भी विधा में दक्ष होना कोई ताज्जुब नहीं है l राज कपूर,विजय आनंद,सुभाष घई ,राज खोसला ऐसे फ़िल्मकार हमारे उदाहरण रहे हैं जिन्होंने निर्देशन के अलावा कई विभाग सफलता पूर्वक संभाले हैं यह बात और है कि उन्होंने पब्लिसिटी में क्रेडिट नहीं ली l मैं उन्ही लोगो में से एक हूँ फ़िल्म के हरेक पक्ष से कई सालों से जुड़ा रहा हूँ इसलिए मैंने लेखन,निर्देशन के अलावा जो दायित्व लिए हैं उनमें कम्फर्ट फील करता हूँ और सब ठीक ठाक हुआ भी हैl
चट्टान के म्यूजिक के लिए आपने कल्याणजी-आनंदजी को एप्रोच किया था फिर क्या वजह रही कि आप ही संगीतकार बन गए ?
दरअसल ‘चट्टान ‘मेरी पहली होम प्रोडक्शन फिल्म है इसलिए ९० के म्यूजिक की मुझे दरकार थी एक एक सिचुएशन को लेकर निर्देशक के नाते सभी गाने मेरे दिलों दिमाग में थे इसलिए मैंने कल्याण जी भाई से मिला उन्होंने बड़ी शालीनता से यह कहकर इंकार कर दिया कि अब हम म्यूजिक नहीं करते,हाँ आप चाहो तो मेरा बेटा विजु शाह से मिल लो l
हम विजु शाह से मिले उन्होंने बड़े प्यार से मेरे सब्जेक्ट सुना गानों की ज़रूरतों को समझा..सिटिंग के दौरान उन्होंने मुझमें ऐसा क्या देख लिया और तपाक से बोले आपके नरेशन से मुझे लगता है कि इस फिल्म का आपसे बेहतर संगीतकार कोई नहीं हो सकता. बस विजु शाह की हौसला अफ़ज़ाई ने मुझे संगीतकार बना दिया l ऊपरवाले की कृपा है कि ९० के फ्लेवर के जो गाने मैंने कम्पोज किये हैं उन्हें सराहना भी मिली है.. सबसे बड़ी बात मेरे हक़ में यह रही कि कुमार सानु,देवाशीष दासगुप्ता,प्रिया भट्टाचार्या,प्रीथा मजुमदार जैसे सिंगर्स ने ९० का खूब रंग मेरे गानों में जमाया है.