श्री सुदर्शन लाल जी महाराज के जीवन की सच्ची कहानी पर आधारित एक सत्य कथा है । “द राइज ऑफ़” “सुदर्शन चक्र”

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फिल्म एक ऐसे सच्चे ईश्वर को दर्शाती है जो साधारण अग्रवाल परिवार में हरियाणा के एक छोटी से शहर रोहतक में 1923 में जन्म ,जिसकी मां 4 वर्ष की उम्र में चल बसी, लालन पालन की प्रमुख जिम्मेदारी बाबा ने निभाई और एक दिन बाबा भी घर छोड़कर संयासी बन गए, जवानी में बचपन का जिगरी दोस्त भी एक दुर्घटना में गुजर गया । जिन घटनाओं से लाए जीवन बिखर जाता है वहां बालक ईश्वर का जीवन निखर कर रहा था। इस सब वियोगो के बीच अपने मजबूत संकल्प और और निश्चय से ईश्वर भी सुदर्शन मुनि बन गया। एक ऐसा सन्यासी जो पूरे जीवन नंगे पैर पैदल ही चला रहा, जिसका ना कोई अपना घर था ,ना कोई परिवार, ना कोई मकान, ना कोई दुकान, ना कोई आश्रम, ना कोई मठ । पूरे जीवन भर घरों में भिक्षा में भोजन और वस्त्र लिए परंतु जिनकी एक झलक पाने के लिए एक ,आवाज सुनने के लिए, लाखों भक्त इंतजार करते थे अपना जीवन महान तो बनाया ही साथ में लाखों लोगों को दुखों के दलदल से निकलने का रास्ता दिखाया।

बचपन से ही साधारण प्रतिभा और याददाश्त धनी मुनि सुदर्शन ने अपनी सेवा और विनय से सबका दिल जीत लिया ,11 भाषाएं सीख ली,हजारों ग्रंथ पड़ डाले,लाखो लोग उनके दीवाने भक्त बन गए। उन्होंने अपना ध्यान केवल साधना गुरु सेवा और समाज सेवा पर केंद्रित रखा। उन्होंने बड़े-बड़े पदो की पेशकश भी ठुकरा दी अपने गुरु के निधन के बाद समाज के आग्रह पर आचार्य पद की जिम्मेदारी समाज सेवक बन कर निभाई। स्वयं को नाम और सम्मान की इच्छा से दूर रखा। अपने साधु जीवनकाल में ना कोई अपनी फोटो लेने दी और ना ही वीडियो बनाने दी। सोशल मीडिया से भी दूरी बनाए रखी।

ऐसे महान पुरुष के जीवन को जन जन तक पहुंचने के लिए श्री अनिल कुलचेनिया जी के निर्देशन में एक फिल्म “द राइज आफ सुदर्शन चक्र” 22 सितंबर 2023 को भारतवर्ष के प्रमुख शहरों में रिलीज हो रही है। यह फिल्म हर उम्र के लोगों के लिए एक पारिवारिक फिल्म है इस फिल्म में श्री सुधाकर शर्मा जी द्वारा लिखित गानों को अपनी मधुर आवाज दी गई है। उदित नारायण ,अनुराधा पोडवाल, सुदेश भोसले और सुरेश वाडेकर ने और सतीश देहरा जी ने इस संगीत को सुसज्जित किया है।
फिल्म का कुशल निर्देशन और पटकथा ले काका देखा गायत्री अनिल कुलचे नया जी ने।
फिल्म शत प्रतिशत दर्शकों की अपेक्षाओं को पूर्ण करेंगी इस फिल्म से बच्चों के चरित्र निर्माण, राष्ट्रवाद, सनातन व श्रमण संस्कृति को पुरजोर बल मिलेगा । यह फिल्म सुदर्शन चक्र के वास्तविक स्वरूप को भी पेश करने में कामयाब साबित होगी।

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