बच्चों में डायबिटीज एक ऐसी समस्या है, जिसमें ज्यादा सतर्कतापूर्ण देखभाल और सावधानी की जरूरत होती है। यह समझना जरूरी है कि डायबिटीज, शरीर के ब्लड शुगर के स्तर को प्रभावी रूप से नियंत्रित करने की क्षमता को प्रभावित करता है। यदि बच्चे डायबिटीज से पीड़ित हैं तो इसका मतलब है उनके ब्लड ग्लूकोज के स्तर की लगातार निगरानी की जानी चाहिए। बच्चों में डायबिटीज की समस्या पर बताते हुए डॉ. मोहन्स डायबिटीज स्पेश्यिलिटीज सेंटर के डॉ वी. मोहन डायबिटीज पर बताते हुए कुछ सुझाव देते हैं जैसे परीक्षा का तनाव और ब्लड शुगर के स्तर पर उसका प्रभाव, तनाव, डायबिटीज पीड़ित बच्चों के ब्लड शुगर को काफी प्रभावित कर सकता है। दबाव की स्थिति में, शरीर कोर्टिसोल और एड्रेनेलाइन जैसे हॉर्मोन्स स्रावित करता है, जिससे ब्लड शुगर का स्तर बढ़ सकता है। ब्लड शुगर के बढ़ने से बच्चों के लिए परीक्षा के दौरान ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित रख पाना मुश्किल हो सकता है। तनाव की वजह से ब्लड शुगर के स्तर में उतार-चढ़ाव होने से थकान, एकाग्रता में कमी, चिड़चिड़ाहट जैसे लक्षण नजर आ सकते हैं। यहां तक कि हाइपोग्लाइसेमिया या हाइपरग्लाइसेमिया का सही नियंत्रण ना करने पर भी ऐसा हो सकता है।
ब्लड शुगर के स्तर पर परीक्षा के तनाव के प्रभावों को कम करने के लिए, डायबिटीज पीड़ित बच्चों के लिए डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज या माइंडफुलनेस मेडिटेशन जैसी रिलेक्सेशन तकनीक का अभ्यास किया जा सकता है।इसी क्रम में उमाशक्ति, डाइटिशियन- डॉ. मोहन्स डायबिटीज स्पेश्यिलिटीज सेंटर और डॉ मोहन कहते हैं कि परीक्षा की तैयारी के दौरान दिनभर नियमित रूप से ब्लड शुगर के स्तर की निगरानी के लिए एक दिनचर्या बना लें।परीक्षा के दौरान डायबिटीज पीड़ित बच्चों के लिए खानपान की हेल्दी आदत बनाए रखना जरूरी है। फल, सब्जियां, साबुत अनाज और लीन प्रोटीन युक्त संतुलित आहार लेने से दिनभर ऊर्जा बनी रहती है। कम शुगर और उच्च फाइबर वाले स्नैक्स का चुनाव करने से ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है और अचानक होने वाले बदलाव से बचाव किया जा सकता है।
डॉ वी. मोहन ने कहा डायबिटीज से पीड़ित बच्चों के लिए स्वीमिंग, बाइकिंग या किसी प्रकार का खेल ना केवल बच्चों को सक्रिय रखता है, बल्कि परीक्षा की तैयारी से जुड़े तनाव को भी कम करता है। व्यायाम करने से एंडोर्फिन्स रिलीज होता है, जोकि एक प्राकृतिक मूड बूस्टर है। पर्याप्त आराम करने से ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में मदद मिलती है और नींद की कमी से इसके बढ़ने का खतरा भी कम हो जाता है।
बेहतर सेहत के लिए अच्छी नींद लेने से ना केवल डायबिटीज के नियंत्रण में मदद मिलती है, बल्कि परीक्षा के दौरान उनकी पढ़ाई में भी लाभ मिलता है। पेरेंट्स और केयरगिवर्स, डायबिटीज पीड़ित बच्चों को भावनात्मक सहयोग देने और उनकी अलग जरूरतों को समझने में अहम भूमिका निभाते हैं। उन्हें खुलकर बात करने का प्रोत्साहन देने और अपनी बात रखने के लिए एक सुरक्षित माहौल तैयार करने से परीक्षा का दबाव काफी हद तक कम हो सकता है। पीयर सपोर्ट ग्रुप या ऑनलाइन कम्युनिटीज, एक ही तरह की समस्याओं का सामना कर रहे डायबिटिक बच्चों को आपस में जोड़ सकती हैं।डायबिटीज पीड़ित बच्चों के लिए परीक्षा के दौरान सेहत और तंदरुस्ती को प्राथमिकता देने से उनकी समस्या को प्रभावी तरीके से नियंत्रित किया जा सकता है।