वैश्य समाज, जिसकी जनसंख्या देश में 15 करोड से अधिक है, अर्थात लगभग 11 प्रतिशत है, जिसके लगभग 365 घटक (उपवर्ग) है जैसे माहेश्वरी, माहौर वैश्य, खण्डेलवाल, अग्रवाल, वाष्र्णेय, चौरसिया, दोसर वैश्य, बरनवाल, साहू, जायसवाल, अयोध्यावासी, रस्तोगी, रूस्तगी, रोहतगी औसवाल, विजयवर्गीय, महावर, माथुर, आर्यवैश्य, वाणी वैश्य, गहोई, माहौर ग्वारै, गुलहरे, महाजन, अग्रहरि, कमलापुरी, पोरवाल, ओमर, लोहिया, मेहता, बाथम, कसौधन, रौनियार, स्वर्णकार, गोमांतक, गिंदोडिया, केसरवाणी, चुर्तरसेनी, रोनियार, हलवाई वैश्य, सरालिया, कानू, लहरी वैश्य, राजवंशी, सौण्डिक, दृढओमार बारहसैनी, आदि आदि।
वैश्य समाज अपने प्रारब्ध से ही सर्वजन हिताय के सिद्धान्त को धारण करते हुए राष्ट्रहित में समाज सेवा के कार्य करता आ रहा है। सनातन धर्म की रक्षा हो अथवा देश को जब जब आर्थिक संकटो का सामना करना पडा तब तब वैश्य समाज ने आगे बढकर अपना सर्वस्व दान कर दिया और तन मन धन से देश एवं संस्कृति की रक्षा के लिए तत्पर रहे।
देश विदेश में वैश्य समाज ने अनेकों अस्पताल, स्कूल, कॉलेज, धर्मशालाए, मन्दिर, प्याउ, बावडी आदि आदि का निर्माण कर सर्वसमाज को समर्पित किया है और देश एवं देशवासियों की सेवा अनवरत जारी है।
आज हम गर्व से वैश्य शिरोमणी भामाशाह जी को वाव करते हुए नवन करते है उन्होंने वैश्वकुल की रीति के अनुसार राष्ट्रहित में महाराणा प्रताप के लिए अपने भण्डार खाली कर दिए जो मुगलों के खिलाफ युद्ध लब रहे थे।
जब गुरुवेट गुरुगोविन्दसिंह को राहीयमुत्रों के लिए भूमि की कीनत सदायगी करने की बकारी भाई तो वैश्यङ्गुल शिरोमणी राणा सरल जी ने अशरफिया खात्री करके जमीन खरीदी और सनातन की पणा की। वैषय कुल में जन्म लेने वाली विभूतियों जिन्होंने विश्व में भारत का तुम বাঁহাम किया और दुनिया को लीवन की नई दिशा दी और अपना सन्पूर्ण जीवन सभाजसेवा के लिए समर्पित किया, जजैसे महात्मा गांधी, दा रान मनोहर लोहिया, सत्यनारायण गोयनका, गीताप्रेस के संस्थापक हनुमान प्रसाद पोद्दार, लाला लाजपत राय जनना लाल बजाज, घनश्याम दात्त बिरला. वेशबन्धु गुप्ता, बी की जिन्दल, वीर शहीद लाला अनकूमल, गंगापुत्र प्रोफेसर जी की अग्रवाल. पोलियो मुक्त भारत के गुधाता उर्षवर्धन, गुप्ता, आई वी एफ संस्थापक स्व० श्री रामदास जी अग्रवाल आदि यदि भारत में राष्ट्रहित में और सनानत धर्म की रक्षा के लिए एक ऐसी नायबूत स्थिर सरकार की आवश्यकता है जो कि देश एर्वे मानतीय संस्कृत को सহীমণি মন্ত্রজ্ঞক্ষণ করই करें।
अन्तर्राष्ट्रीय वैश्य महासम्मेजन (IVF) की दिनांक 01 अप्रैल 2014 को कटरा (जम्मू कश्मीर) में आयोजित राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में सर्वसम्मती से यह निर्णय लिया गया कि गैर राजनैतिक संगठन IVF अब राष्ट्रहित में राजनैतिक क्षेत्र में सक्रिय रूप से कार्य करेगा।