लॉरिआल डर्मेटोलॉजिकल ब्यूटी इंडिया ने हल्के से मध्यम एटोपिक डर्मेटाइटिस से पीड़ित भारतीयों पर अद्वितीय मल्टीवेसिकुलर इमल्शन (एमवीई) टेक्नोलॉजी वाले सेरामाइड युक्त मॉइस्चराइजर की प्रभावशीलता और सहनशीलता पर किए गए एक क्लिनिकलअध्ययन के परिणाम जारी किए है एटोपिक है एटोपिडर्मेटाइटिस (एडी), जिसे एक्जिमा भी कहा जाता है, त्वचा में एक क्रोनिक सूजन की स्थिति होती है, जिसमें त्वचा रूखी और खुजलीदार हो जाती है, और इसमें सूजन हो जाती है। इसकी वजह से शारीरिक बेचैनी, अनिद्रा, और दैनिक गतिविधियाँ सीमित हो जाती हैं, जिससे जीवन की गुणवत्ता पर असर पड़ सकता है। इसके प्रत्यक्ष लक्षणों के अलावा, इससे सामाजिक व्यवहार, आत्म-सम्मान भी प्रभावित होता है, और मनोवैज्ञानिक संकट उत्पन्न होता है।
प्रसिद्ध त्वचा विशेषज्ञ, डॉ. नीना खन्ना, एमबीबीएस, एमडी, एफएएमएस, प्रोफेसर और हेड, डिपार्टमेंट ऑफ़ डर्मेटोलॉजी, अमृता इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च के नेतृत्व में किए गए इस अनुसंधान में हल्के से मध्यम एटोपिक डर्मेटाइटिस वाले 100 से अधिक लोगों पर छह सप्ताह (1 सप्ताह वॉश आउट*, सेरेमाइड युक्त मॉइस्चराइजर के साथ 4 सप्ताह तक उपचार और 1 सप्ताह के उपचार-मुक्त फॉलो अप के चरण) तक अध्ययन किया गया।
यह अध्ययन पेश करते हुए, मुख्य इन्वेस्टिगेटर, डॉ. खन्ना ने कहा,“इस अध्ययन में देखने को मिला कि एटोपिक स्किन के लक्षणों की गंभीरता और स्किन के हाइड्रेशन में महत्वपूर्ण सुधार हुआ। अध्ययन में यह भी सामने आया कि यह मॉइस्चराइजर पहली बार लगाए जाने के बाद 15 मिनट में ही इसका असर शुरू हो गया, और फॉलो-अप चरण में मॉइस्चराइजर का उपयोग बंद करने के बाद कम से कम 1 सप्ताह तक वह बना रहा।
यह क्लिनिकल अध्ययन उन्होंने हाल ही में हैदराबाद में इंडियन एसोसिएशन ऑफ डर्मेटोलॉजिस्ट्स, वेनेरियोलॉजिस्ट्स एवं लेप्रोलॉजिस्ट्स के 52वें राष्ट्रीय
…